जबलपुर, फरवरी 2013/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ लोक सेवकों द्वारा गलत तरीके से सम्पत्ति अर्जित करने के मामलों में प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए लोकायुक्त को पूरी छूट दी गई है। राज्य में आय से अधिक गैर अनुपातिक संपत्ति को राजसात करने की कार्यवाही करने का कानून बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने जबलपुर में मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा आयोजित संगोष्ठी बदलते परिवेश में अधिवक्ताओं की भूमिका‘ में बोल रहे थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े ने की। संगोष्ठी में 33 नये अधिवक्ताओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रति अधिवक्ता 12 हजार रूपये की अनुदान राशि वितरित की गई। इस योजना में अभी तक कुल 498 अधिवक्ता को अनुदान स्वीकृत किया गया है। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति अजीत सिंह, महाधिवक्ता आर.डी.जैन, न्यायिक सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी और अभिभाषक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
श्री चौहान ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश रखने के लिए निर्माण विभागों में ई-टेंडरिंग की व्यवस्था शुरू की गई है। लोगों के सरकारी विभागों से जुड़े काम तेजी से निपटाने के लिए लोक सेवा गारंटी कानून पर अमल किया जा रहा है। अधिवक्ता ऐसे लोक सेवकों का पक्षरक्षण न करें, जो अनुचित तरीके से आय अर्जित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं पर होने वाले अपराधों पर अंकुश रखने के लिए मध्यप्रदेश में प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि महिलाओं के अपराधों में न्यायालयों के फैसले विलंब से आने से महिलाएँ अपने उत्पीड़न की शिकायतें करने में झिझकती है। अधिवक्ताओं की यह जिम्मेदारी है कि महिलाओं की अस्मिता की रक्षा और समाज में शुचितापूर्ण वातावरण बनाने में कानून उनका मददगार बने । मुख्यमंत्री ने मुख्य न्यायाधीश के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि न्यायालयों की सक्रियता के कारण हाल ही में महिला उत्पीड़न के चार मामलों में बड़ी जल्दी फैसले आए हैं, इससे अपराधियों के हौसले कमजोर होंगे।
ई-न्यायालय प्रणाली शुरू होगी
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि न्यायालयों में कागजी कार्यवाहियों को कम करने के लिए ई-न्यायालय प्रणाली की शुरूआत की जा रही है। महिला उत्पीड़न के मामलों में फैसले जल्दी आने में अधिवक्ताओं की महती भूमिका है। समाज व्यवस्था और विधि अनुसार न्याय दान में अधिवक्ताओं को सहयोग करना चाहिए। महिला उत्पीड़न के मामलों के त्वरित निराकरण के लिए 9 महिला न्यायालय की स्थापना की गई है। इन न्यायालयों को महिलाओं की अस्मिता से जुड़े मामलों के फैसले 60 दिन के अंदर देने का दायित्व सौंपा गया है। अधिवक्ताओं पर सत्य को प्रतिष्ठापित करने की जिम्मेदारी है। अधिवक्ताओं का ज्ञान, कौशल और योग्यता ऐसा बल है जिससे देश को कमजोर करने वाली ताकतों को परास्त किया जा सकता है।