भोपाल, जनवरी 2013/ मध्यप्रदेश आज राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख पर्यटन गंतव्य-स्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। पिछले वर्ष पर्यटन को बढ़ावा देने अनेक योजनाएँ हाथ में ली गयीं। प्रदेश न केवल पर्यटकों के लिये पहली पसंद बना है, वरन् पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश में किये गये कार्यों, प्रचार-प्रसार तथा पर्यटक सुविधाओं में निरंतर सुधार के चलते भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय तथा पर्यटन से जुड़ी संस्थाओं द्वारा भी प्रदेश को सराहा जा रहा है।
पिछले वर्ष पर्यटन नीति-2010 में संशोधन कर इसमें अतिरिक्त प्रावधान शामिल किये गये। इनमें मुख्यतः पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया जाना तथा हेरीटेज होटल के लिये अनुदान में निजी स्वामित्व वाले भवनों को हेरीटेज होटल में परिवर्तित करना शामिल हैं। इन्हें संचालित करने पर पूँजीगत व्यय का 25 प्रतिशत अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाना तथा निःशुल्क तकनीकी मार्गदर्शन देना भी महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल पर बजट होटल के निर्माण में पूँजीगत व्यय पर 10 प्रतिशत अथवा 50 लाख जो न्यूनतम हो तथा विभागीय भूमि के आफसेट मूल्य 50 प्रतिशत का अनुदान निवेशक द्वारा स्वयं की भूमि पर होटल निर्माण की स्थिति में पूँजीगत व्यय पर 20 प्रतिशत अथवा 50 लाख, जो न्यूनतम हो, के अनुदान के प्रावधान पर्यटन नीति में शामिल है। इंदौर में हुई इनवेस्टर्स समिट में संशोधित पर्यटन-नीति के परिणाम भी मिले हैं। मीट में 11 अरब 92 करोड़ 06 लाख के 9 एमओयू निजी निवेशकों द्वारा किये गये।
इसी प्रकार प्रदेश में पर्यटन विभाग द्वारा चिन्हित पर्यटन-स्थल पर होटल/रिसॉर्ट के निर्माण पर अनुदान, विभाग के लेण्ड बैंक की भूमि पर भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर आदि शहरों में कन्वेंशन सेंटर के निर्माण पर अनुदान, वीकेन्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये पैकेज टूर्स चलाकर प्रोत्साहन, आबकारी नीति में बार लायसेंस में विशेष रियायत, प्रमुख पर्यटन-स्थल पर निरंतर बिजली आपूर्ति तथा पर्यटन परियोजनाओं पर फास्ट ट्रेक क्लीयरेंस आदि महत्वपूर्ण प्रावधान भी नीति में हैं।
प्रदेश में 455 हेक्टेयर शासकीय भूमि को पर्यटन गतिविधियों के लिये आरक्षित कर लेण्ड बैंक स्थापित किया गया है। यह भूमि निजी निवेशकों को पर्यटन अधोसंरचना विकसित किये जाने के लिये लीज/विकास अनुबंध के आधार पर उपलब्ध करवायी जा रही है। पर्यटन नीति में हेरीटेज भवनों को हेरीटेज होटल के रूप में संचालित करने को प्राथमिकता पर रखा गया है। साथ ही निवेशकों के लिये विशेष रियायतों तथा करों में छूट के प्रावधान हैं।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में विशेष पर्यटन क्षेत्र की स्वीकृति प्रदान की गई हैं। इनमें इंदिरा सागर, गांधीसागर, बाणसागर, साँची, ओरछा, माण्डव, खजुराहो, दतिया, तवानगर, मड़ई तथा तामिया-पातालकोट शामिल हैं। एयर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र के माध्यम से प्रदेश में हवाई सेवाओं को 4 प्रमुख शहर ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल तथा इंदौर के लिये प्रारंभ कर वर्ष 2012 में खजुराहो, रीवा, बाँधवगढ़, कान्हा तथा नागपुर के लिये भी हवाई सुविधाओं का विस्तार किया गया। पर्यटन निगम द्वारा केन्द्रीय योजनाओं के गुणवत्तापूर्ण तथा समयावधि में क्रियान्वयन, पर्यटन अधोसंरचना तथा पर्यटक सुविधाओं में वृद्धि के कार्यों को कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राज्य सरकार द्वारा विभागीय बजट में वर्ष 2012-13 में 12.7 प्रतिशत अधिक राशि का प्रावधान किया गया। इससे प्रदेश में पर्यटन अधोसंरचना तथा पर्यटक सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं। तेरहवें वित्त आयोग में स्वीकृत 45 करोड़ से हेरीटेज, ईको और धार्मिक तथा अन्य पर्यटन अधोसंरचना एवं सुविधाओं आदि को विकसित किया जा रहा है।
प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध करवाये जाने के लिये चरणबद्ध क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया है। इसके अलावा प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन-स्थल सलकनपुर, उज्जैन, ओरछा, देवपुर, सेवढ़ा, नलखेड़ा, देवास, कुण्डेश्वर, बरमान घाट, मैहर तथा चित्रकूट में श्रद्धालुओं के लिये अधोसंरचना तथा जन-सुविधाएँ विकसित की गई हैं। इसी श्रंखला में प्रदेश में स्थित जैन तीर्थ क्षेत्रों का व्यापक संरक्षण करवाया जाकर जैन सर्किट के विकास की परियोजना तैयार की गई है। रतलाम-मंदसौर-नीमच सर्किट में बुद्धिस्ट सर्किट को विकसित किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक जिले में 50-60 किलोमीटर की दूरी पर पर्यटकों की सुविधा के लिये मार्ग सुविधाओं के निर्माण की परियोजना तैयार की जाकर भारत शासन से स्वीकृति प्राप्त की गई है।
भोपाल के प्रमुख हेरीटेज दरवाजों पर लाइटिंग की गयी है। भोपाल में पर्यटकों के स्वागत के लिये श्यामला हिल्स पर ‘वेलकम टू द सिटी ऑफ लेक्स’ का ग्लो साइनबोर्ड लगाये जाने का कार्य जारी है। हथाईखेड़ा में भी कैफेटेरिया, पार्किंग, पीने के पानी की सुविधा, जन-सुविधाएँ तथा जल-क्रीड़ा सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं। भारत सरकार की विकास योजनाओं में भोपाल के लिये 450 लाख से ज्यादा की योजना मंजूर की गई है। इसमें मनुआभान की टेकरी, गुफा मंदिर, गौहर महल, श्यामला हिल्स, प्रेमपुरा घाट, केरवा डेम, तरावली मंदिर तथा छोटे तालाब पर विकास कार्य किये जायेंगे।