भोपाल, अगस्त 2012/ प्रदेश में पूर्व से जो गौण खनिज खदानें स्वीकृत तथा अनुबंधित होकर संचालित हैं, उनके संचालन में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न न किया जाये। इसके साथ ही ऐसी खदानों से खनि निकासी पर भी रोक न लगाई जाये। इस संबंध में जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किये गये हैं।
जारी निर्देश में उल्लेख किया गया है कि शासन के ध्यान में यह लाया गया है कि कतिपय जिलों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के 27 फरवरी, 2012 के पारित आदेश होने के पूर्व से जो गौण खनिज की खदानें स्वीकृत तथा अनुबंधित होकर संचालित हैं, उनमें पर्यावरण का बहाना करते हुए जिलों में लीजधारी/ठेकेदारों को रॉयल्टी बुक नहीं दी जा रही है, जो उचित नहीं है। इससे निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पारित होने से पूर्व जो गौण खनिज की खदानें स्वीकृत तथा अनुबंधित होकर संचालित हैं उनमें अन्यथा कोई वैधानिक अड़चन न होकर उनके संचालन में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न न किया जाये। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 27 फरवरी, 2012 के पारित आदेश में गौण खनिज की नवीन खदानें स्वीकृति/पूर्व से संचालित खदानों का नवीनीकरण करने से पूर्व वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरण सम्मति लिया जाना अनिवार्य किया गया है।