भोपाल, मार्च 2013/ मनरेगा के क्रियान्वयन को आधुनिक तकनीक के उपयोग से और बेहतर बनाया जाएगा। इससे ग्रामीणों को योजना का अधिकतम लाभ मिल सकेगा। मनरेगा आयुक्त डॉ. रवीन्द्र पस्तोर क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, बरखेड़ीकला, भोपाल में एक अप्रैल से प्रदेश में लागू होने वाले इलेक्ट्रॉनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम के समुचित क्रियान्वयन से संबंधित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कार्यशाला में गाँवों में मनरेगा के कार्यों की इलेक्ट्रॉनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम के द्वारा सतत निगरानी के लिए जिलों में पदस्थ अमले को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में गाँवों में होने वाले विभिन्न कार्यों की इलेक्ट्रॉनिक प्रविष्टियाँ यथा उपस्थिति का भरा जाना, मूल्यांकन, मूल्यांकन उपरांत मजदूरी का निर्धारण, भुगतान आदेशएवं संबंधित जॉबकार्डधारी श्रमिक के खाते में राशि का ट्रांसफर किया जाना सम्मिलित है। इस सिस्टम के लागू होने से मनरेगा के कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी।
डॉ. पस्तोर ने स्व-संचालित सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता बताई। कहा कि मैदानी स्तर पर सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, मेट एवं उप यंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला 8 मार्च तक चलेगी। प्रतिदिन पृथक-पृथक तीन-चार जिला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अकाउन्ट आफिसर, सीनियर डाटा मैनेजर, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सहायक परियोजना अधिकारी, सहायक लेखाधिकारी एवं डाटा एन्ट्री ऑपरेटर सम्मिलित हो रहे हैं। कार्यशाला में 1202 अधिकारी-कर्मचारी को प्रशिक्षित किया जा रहा है।