- सच्ची भक्ति हृदय से हो, दिखावे से नहीं बाबा कहते थे कि ईश्वर को दिखावा पसंद नहीं। सच्ची भक्ति सादगी और शुद्ध मन से होनी चाहिए, जो बिना किसी स्वार्थ के हृदय से निकले।
-संतोष ही सच्चा सुख जो आपके पास है, उसमें संतुष्ट रहना सीखें। बाबा के अनुसार, भौतिक वस्तुओं की दौड़ में मानसिक शांति खो जाती है। संतोष से स्थायी सुख और संतुलन मिलता है।
-सबका सम्मान करें, किसी का अपमान न करें बाबा का मानना था कि हर जीव में ईश्वर का अंश है। इसलिए, सभी के साथ सम्मान और प्रेम से पेश आएं। यह जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाता है।
-धैर्य रखें, समय सब ठीक करता है बाबा ने धैर्य को सबसे बड़ी ताकत माना। कठिन समय में धैर्य रखने से हर समस्या का समाधान समय के साथ मिलता है।
-माफ करना सच्ची शक्ति है माफ करने से मन का बोझ हल्का होता है और रिश्ते मजबूत होते हैं। यह मानसिक शांति और स्पष्ट सोच को बढ़ाता है।
-कर्म पर ध्यान दें, फल की चिंता न करें बाबा ने गीता के इस सिद्धांत को अपनाया कि मेहनत और लगन पर ध्यान देना चाहिए, न कि परिणाम की चिंता पर। इससे निराशा कम होती है और आत्मबल बढ़ता है।
-सादा जीवन, उच्च विचार बाबा स्वयं सादगी से जीते थे और सिखाते थे कि सादा जीवन मन को शांत रखता है और ऊर्जा को सही दिशा में लगाने में मदद करता है।
प्रेम ही ईश्वर है बाबा कहते थे कि प्रेम और करुणा से भरा हृदय हमेशा हल्का रहता है। नफरत और ईर्ष्या सफलता के मार्ग में बाधा बनते हैं। प्रेम ही सबसे बड़ी शक्ति है।
-ईश्वर हर जगह है, बस भाव चाहिए करोली बाबा का मानना था कि ईश्वर को मंदिरों में खोजने की जरूरत नहीं, वह हर जगह है। बस शुद्ध भाव और समर्पण से उन्हें महसूस किया जा सकता है।