नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों भारत से खासा खफा हैं। इसकी वजह मानी जा रही है फोन कॉल की नाकाम कोशिश...। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ समय पहले डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से "कई बार" संपर्क करने की कोशिश की। इस रिपोर्ट में एक जर्मन अखबार के पहले के दावे का समर्थन किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आधिकारिक रूप से स्वीकृत आखिरी फोन कॉल 17 जून को हुई थी। जब ट्रंप कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन को अचानक छोड़कर वाशिंगटन वापस चले गए थे। इसके चलते शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक रद्द करनी पड़ी थी।
यह सार्वजनिक है कि, उस कॉल के दौरान, ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को वाशिंगटन में रुकने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि पीएम मोदी की क्रोएशिया यात्रा निर्धारित होने के कारण अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया। यह जानकारी खुद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि, भारत को इस बात की चिंता थी कि ट्रंप, प्रधानमंत्री मोदी को पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के साथ फोटो खिंचवाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। जिन्हें उसी समय व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था।
रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि, "यह एक और स्पष्ट संकेत था कि, ट्रंप को इस मुद्दे (भारत और पाकिस्तान के बीच) की जटिलता या इससे जुड़ी संवेदनशीलता और इतिहास की जरा भी परवाह नहीं थी।"
दावा है कि, तब से, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव आ गया। मोदी सरकार द्वारा भारत के कृषि और डेयरी बाजारों को खोलने का विरोध करने के बाद, ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया और व्यापार वार्ता स्थगित कर दी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि, बाद में दोनों नेताओं के बीच एक आंशिक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक और बातचीत की व्यवस्था करने का प्रयास किया गया। हालांकि, भारतीय सरकारी अधिकारी सतर्क थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि, मोदी सरकार को चिंता थी कि, ट्रंप उनके ट्रुथ सोशल पर बातचीत का अपना वर्जन पोस्ट कर सकते हैं, चाहे जो भी चर्चा हुई हो या सहमति बनी हो।
हालांकि, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया था कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से संपर्क किया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 से ज्यादा बार दावा किया है कि, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित की थी। उन्होंने यहां तक कहा कि, भारत - पाकिस्तान सैन्य संघर्ष परमाणु युद्ध में तब्दील हो सकता था। जबकि नई दिल्ली ने बार-बार इसका खंडन किया।
इसी रिपोर्ट का दावा है कि, 17 जून को कॉल के दौरान, ट्रंप ने इस मुद्दे को फिर से उठाया और प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि, उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को "समाप्त" करने पर गर्व है। उन्होंने आगे कहा था कि ,पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की योजना बना रहा है। जिसकी वह खुले तौर पर मांग कर रहे थे। ट्रंप भारत से भी इसी तरह के समर्थन की उम्मीद कर रहे थे।
कॉल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर पलटवार करते हुए स्पष्ट किया कि, युद्धविराम सीधे नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच हुआ था। इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से अधिकारियों ने कहा कि यह बातचीत और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रंप की नोबेल बोली का समर्थन करने से इनकार करना, दोनों नेताओं के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। चार दिनों तक दोनों पक्षों के बीच झड़पें हुईं थी, जो आगे की सैन्य कार्रवाई रोकने के समझौते के बाद 10 मई को खत्म हुईं।